हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन, ब्लॉक यूनिट निरमंड (संबंधित सीटू), की ब्लॉक कमेटी की बैठक
किसान मजदूर भवन निरमंड में हुई।
बैठक को संबोधित करते हुए सीटू शिमला ज़िला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार मजदूर, कर्मचारी, किसान, महिला, नौजवान, छात्र, दलित विरोधी नीतियां लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। पिछले 100 सालों में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
उन्होंने ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हाल ही में काँग्रेस की नयी सरकार बनी है। पिछली सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते जनता ने सरकार को बदलने का काम किया। मनरेगा मज़दूरों को पिछली यूपीए सरकार ने वर्ष 2013 में निर्माण मज़दूर घोषित किया था और उन्हें तब से लेकर अब तक राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड का सदस्य बनने और लाभ लेने का अधिकार था। जिसे अब बन्द करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को पत्र लिखा है।इसके अलावा बोर्ड के राज्य कार्यालय में पिछले दो वर्षों के लंबित पड़े है। बोर्ड से मज़दूरों को मिलने वाली सहायता सामग्री जैसे वाशिंग मशीन, इंडक्शन हीटर, सोलर लैम्प व अन्य सामग्री बंद कर दी है।
बैठक में राज्य कमेटी के आव्हान पर मनरेगा मजदूरो को श्रमिक कल्याण बोर्ड से बाहर करने पर 15 जनवरी से 28 फरवरी तक गाँव स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला लिया गया। यूनियन ने चेताया कि मोदी सरकार की मनरेगा व निर्माण मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में 15 मार्च को ब्लॉक स्तर पर किसान मजदूर का संयुक्त धरना प्रदर्शन करेगी और 5 अप्रैल को दिल्ली में हो रही विशाल रैली मे मजदूर भाग लेंगे। बैठक में कश्मीरी, परस राम, कीरथ राम, सन्नी राणा, सुमित्रा, शिक्षा, पिंकी, कृष्णा, परमिंदर, अमित, भोगा राम, कृष्ण देब, अर्जुन, अवस्थी, देवी चंद, भाग चंद, चूरा राम, कीरत राम, वेद, ओम प्रकाश, टीपू, मोती राम, चरण दास आदि मौजूद रहे।