किन्नौर की बेटी डॉ अंकिता नेगी अपनी प्रतिभा का लोहा मानते हुए बनी एनआईए में असिटेंट प्रोफेसर ।

किन्नौर की बेटी डॉ अंकिता नेगी अपनी प्रतिभा का लोहा मानते हुए बनी एनआईए में असिटेंट प्रोफेसर ।

द सुप्रभात ब्यूरो

जिला किन्नौर के चौरा गांव से संबंध रखने वाली डॉक्टर अंकित नेगी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मानते हुए
जिला एवं प्रदेश का नाम रोशन किया है। उन्होंने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के एनआईए में शल्य तंत्रा यानी सर्जरी डिपार्टमेंट में अनुसूचित जनजाति वर्ग के असिटटेंट फ्रोफेसर के एक रिक्त पद के लिए हुए राष्ट्रीय स्तर के साक्षात्कार में बाजी मारी है। आयुष मंत्रालय दिल्ली में आयुष सचिव की अध्यक्षता में 13 दिसंबर को साक्षात्कार हुए थे, इस से पहले दो मर्तबा एनआईए जयपुर में लिखित परीक्षा ली गई , जिस में देश भर से एसटी वर्ग के पात्र अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। लिखित परीक्षा में मैरिट पाने वालो का पर्सनल आयुष मंत्रालय में हुआ और उस के बाद 29 दिसंबर को निकले परिणाम में डॉक्टर अंकिता नेगी चयनित हुई । चयन के बाद डॉ अंकिता नेगी ने एनआईए यानी राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान नेक ए ग्रेड विश्विद्यालय जयपुर में ज्वाइन भी कर लिया है। उन्हें यह नियुक्ति केंद्र सरकार के दसवें स्तर के वेतनमान और अन्य देय भत्तो के साथ मिली है। अंकिता नेगी ने इस से पूर्व राजीव गांधी गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेदिक कॉलेज पपरोला से बीएएमएस की डिग्री प्रदेश भर में दूसरा स्थान पा कर लिया। उस के बाद सर्जरी में मास्टर डिग्री भी पपरोला से ही प्राप्त की। उनकी कार्य कुशलता और कुशाग्रता को देखते हुए एमएस करते हुए उन्हें बेस्ट सर्जन ऑफ द ईयर का अवार्ड भी दिया गया था। अंकिता को जमा दो की वार्षिक परीक्षा में भी अंग्रेजी और बायो विषय में अति उत्तम प्रदर्शन के लिए सीबीएससी द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया गया है। अंकिता की प्रारंभिक पढ़ाई डीएवी रामपुर और उस के बाद डीपीएस झाकड़ी से हुई। अंकिता के पिता विशेषर नेगी एक पत्रकार है और जबकि माता वीना नेगी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश कार्यालय में एग्जीक्यूटिव असिटेंट के पद पर कार्यरत है। डॉ अंकिता नेगी एनआईए जयपुर में अनुभव लेने के बाद जल्द पंचकुला माता मनसा देवी क्मप्लेक के एनआईए में सेवाएं देगी। डॉक्टर अंकित नेगी का कहना है कि आयुर्वेद में उच्च शिक्षा व गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार प्रयास करती रहेगी , ताकि भारत की आयुर्वेद पद्धति को विश्व स्तर पर फिर से पहचान मिल सके । उन्होंने कहा मंजिल तक पहुंचाने के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए, दृढ़ निश्चय और संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे तो अवश्य मंजिल कदमों को चूमेगी। उन्होंने बताया चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने माता-पिता व शिक्षकों के मार्गदर्शन का हमेशा अनुसरण किया ।

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