रामपुर बुशहर l दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा मां भीमाकाली मन्दिर सराहन,रामपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री कालिंदी भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन किया।साध्वी जी ने प्रवचनों में कहा की छोटी आयु में ही श्री कृष्ण ग्वाल बालों के साथ गाय चराने की चराने जाने की जिद करते हैं।भगवान की यह लीला हमें गौ सेवा की ओर प्रेरित करती है। साध्वी कालिंदी भारती जी ने कहा कि गौ की रक्षा के लिए स्वयं परमात्मा इस धरती पर आते हैं पर उनकी संतान इस सेवा से आज क्यों वंचित है।यदि भारतीय संस्कृति की व्याख्या संक्षेप में करनी हो तो वह गौ रूप है।गो प्रेम के कारण ही हमारे देश में गोकुल,गोवर्धन,गोपाल इत्यादि नाम प्रचलित है गायों की संख्या के आधार पर भारतीय किसानों को नंद, उपनंद इत्यादि नाम दिए जाते थे।भारत की संपन्नता गाय के साथ ही जुड़ी हुई है। बड़े दुख की बात है कि देश में पूजा योग्य गाय की हालात अति दयनीय हो गई है।देश के विभाजन से पहले देश में केवल 300 बूचड़खाने थे परंतु आज देश में इनकी संख्या हजारों हो चुकी है।आज देश में कानूनी व गैर कानूनी तौर पर हजारों ही बूचड़खाने चल रहे हैं। साध्वी जी ने गौमाता के महत्व को बताते हुए कहा कि हम सब पर परमात्मा की बहुत बड़ी कृपा है की हमारे शरीर के लिए आवश्यक स्वर्ण गाय के दूध से प्राप्त हो जाता है।पंचगव्य का सेवन करके लाइलाज रोगों से भी छुटकारा पाया जा सकता है।इसीलिए हमें गौ सेवा अवश्य करनी चाहिए।भगवान श्री कृष्ण ने गोवंश के साथ प्रेम करके समस्त मानव जाति को गौ माता के प्रति उदार बनने की प्रेरणा दी है यह हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य बनता है कि हम गोवंश का संवर्धन करें और भारतीय मान बिंदुओं की रक्षा करें। कथा में डॉ प्रियंका ने परिवार सहित पूजन किया। स्वामी धीरानंद जी ने बताया की दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन के लिए कामधेनु के नाम से एक विशेष गो सेवा प्रकल्प चलाया जा रहा है।जिसके तहत भारत के विभिन्न राज्यों में संस्थान की गोशाला हैं। पूरे उत्तर भारत में संस्थान की कामधेनु गौशाला को सर्वोत्तम गौशाला का गौरव प्राप्त हुआ है।कथा का समापन प्रभु की मंगल आरती के साथ किया गया उसके बाद सारी संगत के लिए भंडारे की व्यवस्था भी की गई।
फोटो : कथा श्रवण करते