अडानी एग्री फ्रेश मजदूर यूनियन (सम्बंधित सीटू) का चौथा इकाई सम्मेलन बिथल में हुआ।
इस सम्मेलन में 4 सदस्यों के अध्यक्ष मंडल का चुनाव किया गया जिसने सम्मेलन की कार्यवाही का संचालन किया सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सीटू शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह व अमित ने कहा कि देश की मोदी सरकार खुले तौर पर पूंजीपतियों को फायदा पंहुचाने के लिए 8 घण्टे के कार्यदिवस , मजदूरों के सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार, यूनियन बनाने , न्यूनतम वेतन बढ़ाने के अधिकार , सामाजिक सुरक्षा के अधिकार व हड़ताल के माध्यम से अपनी सामुहिक सौदेबाजी के अधिकार जो लंबे संघर्ष से हासिल किए हैं पर तीखे हमले करके इन अधिकारों को छीनने का काम कर रही है जिसको बचाने के लिए मजदूरों द्वारा संघर्ष किये जा रहे हैं देश की मोदी सरकार पूरी तरह से पूंजीपतियों के पक्ष खड़ी हुई है देश की जनता पर महंगाई, बेरोजगारी थोपी जा रही है मोदी सरकार देश को बेचने के लिए आमादा है देश के सविधान, जनतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर हमला किया जा रहा है लोगों की बोलने की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है जो सरकार की जनविरोधी नीतियों पर आवाज उठा रहे हैं उन्हें जेल में डाला जा रहा है पिछले सौ साल के अंतराल में मजदूरों के बलिदान से बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं व बिजली संशोधन कानून 2021 को लागू करने के लिए एकदम ततपर रहना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार 2020 से मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म करने व सार्वजनिक क्षेत्र की सम्पतियों को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के माध्यम से मुफ़्त में कौड़ियों के भाव बेचने के लिए लगातार कार्य कर रही है। सरकार के इन निर्णयों से बहुत अधिक संख्या में बेरोजगारी बढ़ रही है और मजदूर व आम जनता सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूँजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले मुफ्त में करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन को आक्रमक तरीके से लागू करके मोदी सरकार बैंक, बीमा, रेलवे, सड़क, बीएसएनएल ,एयरपोर्टों, स्टेडियम, बिजली , बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कम्पनियों के गोदाम व खाली जमीन, सड़कों, स्टेडियम सहित ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मुफ्त में देने का रास्ता खोल दिया गया है। जिससे पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को सार्वजनिक सम्पतियों की लूट करके मुनाफा कमाने की खुली छूट मिल रही है और देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट रही है व गरीब और ज़्यादा गरीब हो रहे हैं।
खुद को गरीबों की सरकार कहने वाली मोदी सरकार गरीबों को खत्म करने पर आमदा है। देश में महंगाई व बेरोजगारी पिछले 45 सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिया है जिस पर काबू न करने से आम लोगों को अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है पिछले 1 वर्ष में 33 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हुए है। सबसे गरीब तबका व सबसे ज़्यादा महिलाएं जो मनरेगा मैं कार्य करती है मनरेगा कानून में बजट की कमी के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है और जिनको मनरेगा में काम मिल रहा है उन्हें समय पर वेतन नही मिलने से हताशा की स्थिति पैदा हो गई है दूसरे तरफ आवश्यक बस्तुओं के दामों में लगातार बढ़ोतरी से अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है।देश में कोरोना महामारी के कारण उद्योग बन्दी व अन्य क्षेत्रों में काम बन्दी होने से मजदूरों का गांव की ओर रिवर्स माइग्रेशन हुआ है व बेरोजगार जनता के लिए मनरेगा रोज़गार का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है। मनरेगा में बजट कम होने से समय पर रोजगार न मिलने से देश में बेरोज़गारी बढ़ रही है जिसने पिछले 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है देश की जनता व बेरोजगार युवाओं में हताशा पैदा कर दी है।
हिमाचल सरकार ने काम के घंटे 8 से 12 करने की अधिसूचना जारी की है जिससे मजदूरों को गुलाम बनाने का मसौदा तैयार किया गया है। हिमाचल प्रदेश के मजदूरों को 15वें श्रम सम्मेलन के निर्णय के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है और वेतन को महंगाई व उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है। सम्मेलन के अंत में यूनियन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि अपनी आजीविका के अधिकारों और लंबे संघर्षों से हासिल अधिकारों को मजदूर वर्ग की वर्गीय एकता को बनाते हुए देश की सरकार द्वारा लागू की जा रही नवउदारवादी नीतियों को बदल कर अपनी पक्ष में नीतियों को बदलने के लिए तीखे संघर्ष करेंगे।
सम्मेलन में सर्वसहमति से 13 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया जिसमें हरीश चौहान को अध्यक्ष, प्रमोद को उपाध्यक्ष ,सुनील जिष्टु को महासचिव, राजेश वर्मा को सचिव हेम राज को कोषाध्यक्ष जसबीर, भजन, रविंद्र जिष्टु, राकेश मेहता, सुनील, प्रदीप, अजय भेक, सोहन लाल को सदस्य चुना गया।
सुनील जिष्टु