रामपुर के शनेरी में धूमधाम से मनाया गया श्री परशुराम जन्म उत्सव

अक्षय तृतीया को जन्मे माँ रेणुका व महर्षि जमदग्नि के चिरंजीवी संतान व विष्णु भगवान के छठवें अवतार #भोलेनाथ के परम भक्त भगवान #श्रीपरशुराम जी के अवतरण दिवस की आप सभी को अनन्त शुभकामनाएं।

भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया, जिसके कारण वे परशुराम कहलाए।
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीपरशुराम आज भी #महेंद्र पर्वत पर निवास करते हैं।#भगवान श्रीपरशुराम जन्म से ब्राह्मण थे और कर्म से क्षत्रिय थे।परशुराम भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। उनका जन्म भगवान #श्रीराम के जन्म से पहले हुआ था। मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-#रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। भगवान शिव के परमभक्त परशुराम जी को न्याय का #देवता माना जाता है।
रामायण और महाभारत दो युगों की पहचान हैं। रामायण त्रेतायुग में और #महाभारत द्वापर में हुआ था। पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा।रामायण काल में सीता #स्वयंवर में धनुष टूटने के पश्चात् परशुराम जी जब क्रोधित हुए और उनका लक्ष्मण से संवाद हुआ तो उसके बाद भगवान श्री राम ने परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र सौंपा था। वही #सुदर्शन चक्र परशुराम जी ने द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण को वापस किया। परशुराम जी ने कर्ण और पितामह भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी दी थी। कर्ण ने भगवान परशुराम से झूठ बोलकर शिक्षा #ग्रहण की थी। जब यह बात #परशुराम जी को पता चली तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जिस विद्या को उसने झूठ बोलकर प्राप्त की है, वही विद्या युद्ध के समय वह भूल जाएगा और कोई भी अस्त्र या शस्त्र नहीं चला पाएगा। भगवान परशुराम का यही श्राप अंतत: कर्ण की #मृत्यु का कारण भी बना।

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