3 जुलाई को होगी श्राई कोटी माता के नव-निर्मित मंदिर की प्रतिष्ठा

3 जुलाई को होगी श्राई कोटी माता के नव-निर्मित मंदिर की प्रतिष्ठा
दव सुप्रभात ब्यूरो
रामपुर बुशहर। रामपुर में स्थित प्राचीन श्राई कोटी माता के मंदिर की प्रतिष्ठा देवताओं के आशीर्वाद से 3 जुलाई 2023 को होनी निश्चित हुई है। गौर हो कि मंदिर की प्रतिष्ठा भीमा काली एवं अन्य मंदिर न्यास के सौजन्य से हो रही है। जिसमें मंडी सांसद प्रतिभा सिंह मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत करेंगी, वहीं लोक निर्माण एवं युवा सेवाएं व खेल मंत्री विक्रमादित्य सिंह और अध्यक्ष भीमा काली मंदिर न्यास रामपुर विशिष्ट अतिथि के रुप में शिरकत करेंगे और अतिथि के रूप में रामपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक नंदलाल होंगे जिन की अध्यक्षता में मंदिर प्रतिष्ठा पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगी। बताते चलें कि 28 जून 2023 को देवता साहिब दत्त महाराज बसाहारा, देवता कालेश्वर व देवठी का मंदिर में आगमन होगा। 29 जून 2023 से 2 जुलाई 2023 तक देवता साहिब पाठ में बैठेंगे। वहीं देवता साहिब काजल गसो व लक्ष्मी नारायण मझेबली 2 जुलाई 2023 को मंदिर श्राई कोटी पधारेंगे और 3 जुलाई को शिखा पूजन के उपरांत पूर्णाहुति के दोपहर बाद प्रतिष्ठा का समापन होगा।
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*क्या है मंदिर की गाथा *
अगर यहां पति-पत्नी ने एक साथ की पूजा तो हो जाता है अनर्थ
कहते हैं कि सनातन धर्म में कोई दंपत्ति अगर साथ में पूजा नहीं करते तो वह पूजा अधूरी मानी जाती है, लेकिन हमारे देश में ऐसी भी कुछ जगहें हैं जहां इन मान्यताओं का कोई वजूद नहीं रहता। क्योंकि हम जिस जगह के बारे में आपको बता रहे हैं वहां पति-पत्नी के साथ पूजा करने पर सख्त पाबंदी है। यही नहीं मान्यता यह है कि अगर वहां दपत्ति साथ में पूजा करते हैं तो उनके साथ अनर्थ हो जाता है।हम जिस अजीबोगरीब स्थान का जिक्र कर रहे हैं। वह एक मंदिर है। जो कि जिला शिमला के उपमंडल रामपुर बुशहर में है। यहां पति और पत्नी के एक साथ पूजन या देवी दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन करने पर सख्त पाबंदी है। इस मंदिर में दंपत्ति जाते तो हैं, लेकिन एक बार में एक ही दर्शन करता है। यानी कि यहां पहुंचने वाले दंपत्ति अलग-अलग समय में प्रतिमा के दर्शन करते हैं। इसके बाद भी अगर कोई दंपत्ति मंदिर में जाकर प्रतिमा के दर्शन करता है तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है।
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यह रहस्यमयी मंदिर हिमाचल प्रदेश में श्राई कोटि माता के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेयजी को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने को कहा था। कार्तिकेयजी तो अपने वाहन पर बैठकर भ्रमण पर चले गए, लेकिन गणेश ने माता-पिता के चक्कर लगाकर ही यह कह दिया था कि ब्रह्मांड तो माता-पिता के चरणों में ही है।
इसके बाद कार्तिकेयजी ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए तब तक गणेश का विवाह हो चुका था। इसके बाद वह गुस्सा हो गए और उन्होंने कभी विवाह नहीं करने का संकल्प लिया। कार्तिकेयजी के विवाह न करने के प्रण से माता पार्वती बहुत रुष्ट हुई थी। उन्होंने कहा कि जो भी पति-पत्नी यहां उनके दर्शन करेंगे वह एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। इस कारण आज भी यहां पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते है। हालांकि श्राई कोटी में दरवाजे पर आज भी गणेश सपत्नीक स्थापित हैं।
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बताते चलें कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को श्राई कोटि पहुंचने के लिए सबसे पहले शिमला जाना होगा। इसके बाद आप नारकंडा और मश्नु गावं के रास्ते यहां पहुंच सकते हैं। जिला शिमला से माता के मंदिर पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन साधनों व अपने वाहन का सहारा ले कर माता के दरबार पहुंच सकते हैं।

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