रामपुर बुशहर निशांत शर्मा
रामपुर, चाटी में शिमला ज़िला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन हुआ।
इस संयुक्त अधिवेशन ने सभी किसान, मजदूर, प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और देशभक्त लोगों से आह्वान किया कि वे ‘देश बचाओ और लोगों को बचाओ’ के इस राष्ट्रव्यापी अभियान और कार्यक्रमों को समर्थन और एकजुटता दें!
अधिवेशन उद्घाटन करते हुए किसान नेता राकेश सिंहा ने कहा कि 2014 के बाद से केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के चलते बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। जनता की अपनी अवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खर्च करने की क्षमता घट रही है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भूखमरी बढ़ रही है। भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत पिछड़ कर 121 देशों में 107 वें पायदान पर पहुंच गया है। इन आंकड़ों से मोदी सरकार की देश में तथाकथित विकास के ढिंढोरे की पोल खुल गई है।
बजट 2023-24 में खाद्य सब्सीडी में भी 90,000 करोड़ रूपये की कटौती की गई है। एक ओर सरकार 81.35 करोड़ लोगों का मुफ्त राशन देने का ढिंढोरा पीट रही है तो दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा कानून (FSA) के तहत मिलने वाले सस्ते राशन को बंद किया जा रहा है। इससे जनता को बाजार से महंगा राशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं (आटा, दूध, तेल, दाल व चावल आदि) के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा पेश कि, बजट में मंहगाई को कम करने के लिए कोई प्रावधान नहीं रखे गए उल्टा जनता को खाद्य वस्तुओं में मिल रही सबसीडियों को कम किया जा रहा है जिससे मंहगाई में बढ़ौतरी होगी।
मजदूर किसान नेताओं ने कहा कि आज संघर्ष केवल आजीविका और काम करने की स्थिति की तत्काल मांगों के लिए नहीं है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए है, हमारे समाज के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र को इस सांप्रदायिक और निरंकुश भाजपा-आरएसएस शासन से बचाने के लिए भी है। इसलिए इसने देश भर के मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों का आह्वान किया कि वे अपनी जायज मांगों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें और भाजपा-आरएसएस के नवउदारवादी, साम्प्रदायिक और निरंकुश शासन की हार के लिए अथक प्रयास करें।
अधिवेशन ने देश के मेहनतकश लोगों की बुनियादी मांगों को दोहराया, जैसे कि न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को 10,000 रुपये की पेंशन सुनिश्चित करना; गारंटीकृत खरीद के साथ सभी कृषि उपज के लिए C2+50 प्रतिशत पर MSP की कानूनी गारंटी; चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक 2020 को खत्म करना, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा के तहत 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 कार्यदिवस प्रदान करना और गरीब और मध्यम किसानों और कृषि श्रमिकों को एकमुश्त ऋण माफी देना। संयुक्त सम्मेलन ने पीएसयू के निजीकरण को रोकने, एनएमपी को खत्म करने, अग्निपथ को खत्म करने, मूल्य वृद्धि को रोकने और पीडीएस को मजबूत करने और सार्वभौमिक बनाने, सभी श्रमिकों के लिए 10,000 रुपये पेंशन और अमीरों पर कर लगाने की मांग भी उठाई।
अधिवेशन में सीटू राज्य अध्यक्ष विजेन्द्र मेहरा, सेब उत्पादक संघ राज्य अध्यक्ष सोहनलाल, पूर्ण ठाकुर, कुलदीप डोगरा, देवकी नंद, प्रेम चौहान, अजय दुलता, कपिल, राजपाल, रिंक, नीलदत, काकू कश्यप, सरीना, हिमी देवी, शांति, मीना मेहता, विमला, तिवारी, सुमित्रा, कृष्णा आदि मौजूद रहे। 4 अप्रैल और 5 अप्रैल 2023 के संसद मार्च में ज़िला शिमला से सैकड़ों मजदूर हिस्सा लेंगे.