धरना प्रदर्शन

दा सुप्रभात ब्यूरो रामपुर बुशहर

मनरेगा व निर्माण मज़दूर यूनियन (संबधित सीटू) ने खण्ड विकास अधिकारी निरमण्ड के कर्यालय के बाहर मनरेगा मज़दूरों को रोजगार ना मिलने को लेकर धरना प्रदर्शन किया। लगभग 100 मजदूरों ने लिखित में सामूहिक आवेदन किये तथा ऑनलाइन हाजिरी, 20 कार्यों की शर्त हटाने समेत मज़दूरी 375 रूपये देने की माँग उठाई।

मजदूरों की एक साथ 28 दिनों का रोजगार देने की मांग को माना गया जो कि आज आवेदन किए हुए लगभग 100 लोगों को 15 दिनों के भीतर लगतार 28 दिनों का रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा।

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू जिला सचिव अमित, परस राम, राहुल ने कहा कि 2014 के बाद से केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के चलते बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत पिछड़ कर 121 देशों में 106 वें पायदान पर पहुंच गया है। मोदी सरकार की देश में तथाकथित विकास के ढिंढोरे की पोल खुल गई है।

वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में सामाजिक क्षेत्र पर सरकार ने खर्च को घटाकर जनता की अजीविका पर बड़ा हमला किया है। देश में काम करने वाले लोगो की संख्या स्थिर बनी हुई है जोकि महामारी से पहले जनवरी 2020 में 41.1 करोड़ और जनवरी 2023 में 40.9 करोड़ है। बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है और यह 8% और उससे उपर ही है।

ऐसे में जब बेरोजगारी दर उच्चतम है मोदी की सरकार ने मनरेगा के बजट में लगभग 33% की कटौती की है। वर्ष 2023-2024 के लिए मनरेगा बजट घटाकर 60,000 करोड़ रूपये पर ले आया है। दूसरी ओर सरकार हाजरी की प्रक्रिया को ऑनलाईन व्यवस्था करके उसे और जटिल करके मनरेगा को बंद करने का कार्य कर रही है क्योंकि ग्रामीण भारत में इन्टरनैट की गम्भीर समस्या है।

मजदूर नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने मनरेगा योजना के तहत एक पंचायत में एक ही वक्त में ऑनलाइन 20 ही काम अवार्ड करने की शर्त लगाई है। इस शर्त की वजह से नए विकास कार्य तब शुरू हो पाएंगे, जब पुराने काम निपट जाएंगे। पूर्व में मनरेगा योजना में ऐसी कोई शर्त नहीं थी। इससे कई पंचायतों में एक ही समय में 40 से 50 काम भी एक साथ चलते थे, लेकिन बीते कुछ समय से केंद्र की सरकार ने यह सिस्टम बदल दिया है और 20 काम की शर्त लगाई है। जिससे ग्रामीण चाहकर भी मनरेगा के तहत काम नहीं कर पा रहे। इससे न केवल ग्रामीण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि मनरेगा के तहत ग्रामीणों को भी समय पर रोजगार नहीं मिल पा रहा।

मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी राज्य विशेष के खेत मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं होनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में मनरेगा मजदूरों को 240 रुपये दैनिक वेतन दिया जाता है, जो मनरेगा मजदूरों के साथ मज़ाक है।

यूनियन ने सरकार को चेताया कि अगर मनरेगा मजदूरों की मांगों को पूर्ण नही किया गया तो यूनियन आने वाले समय में उग्र आंदोलन करेगी।

धरने प्रदर्शन में कश्मीरी, अवस्थी, भगत राम, सिंदरी देवी, नीलम, उमा, कांता, हेमा, सरोज, आशा, कला, संध्या, टैफ़ू देवी, फूला, रेवता आदि मौजूद रहे।

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