लंपी वायरस के दिन-प्रतिदिन बढ़ते मामले

प्रदेश में लंपी वायरस के दिन-प्रतिदिन बढ़ते मामलें और इससे हो रही पशुधन की क्षति बेहद चिंताजनक हैं। यह बात प्रदेश सचिव हिमाचल युवा कांग्रेस अशवनी शर्मा ने कही। अशवनी शर्मा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार का सारा ध्यान चुनाव प्रचार पर केंद्रित हैं और जनहित के मुद्दों को अनदेखा किया जा रहा हैं। शर्मा ने कहा कि लंपी वायरस ने प्रदेश में चार महीनें पहले दस्तक दे दी हैं और इससे प्रदेश में 3404 पशुओं की मौत हो चुकी हैं। जिला शिमला में भी लंपी वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा हैं और सरकार के आंकड़ों से अधिक पशुधन की क्षति हुई हैं। प्रदेश सचिव ने कहा कि लंपी वायरस एक विषाणु जनित रोग हैं जो कि संक्रमित पशु के संपर्क में आने व मक्खी अथवा मच्छर के संक्रमित पशु को काटने के बाद स्वस्थ पशु को काटने से फैलता है। उन्होंने कहा कि लंपी वायरस से लगातार हो रही पशुओं की मौतों को देखते हुए महामारी घोषित करने के लिए प्रदेश सरकार केंद्र पर दबाव बनाएं। अशवनी शर्मा ने कहा कि हालांकि अभी तक लंपी वायरस से निपटने के लिए टीकें की खोज नही हो सकी हैं लेक़िन पशुपालन विभाग के पास उपलब्ध वैक्सीन इसे रोकनें में कारगर साबित हुई हैं। उन्होंने कहा कि लंपी वायरस तेज़ी से फ़ैल रहा हैं इससे मवेशियों को बचाने के लिए पशुपालन विभाग समय रहते उपलब्ध वैक्सीन से ही टीकाकरण अभियान चलाए। अशवनी ने कहा कि सरकार आवारा पशुओं और घुमंतू गुज्जरों के पशुओं को भी टीकाकरण में शामिल करें। उन्होंने कहा कि एक ओर लंपी वायरस से पशुपालकों में भय हैं वहीं प्रदेश सरकार इससे निपटने के लिए जिला शिमला को नाम मात्र ₹2 लाख की राशि ज़ारी की हैं और यह राशि लंपी वायरस से निपटने के लिए नाकाफ़ी हैं इसमें समुचित वृद्धि होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लंपी वायरस से पशुधन की क्षति होने पर पशु पालकों को मुआवज़ा मिल सकें इसके लिए सरकार राहत नियमावली में संशोधन करें और SDRF में लंपी वायरस को शामिल करने बारें मामला केंद्र से उठाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुपालन विभाग में चिकित्सा अधिकारी व अन्य अधिकतर कार्यमूलक पद रिक्त चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर रामपुर विधानसभा क्षेत्र में 50% से अधिक चिकित्साधिकारी, वैटीनेरी फार्मासिस्ट और पशुपालन परिचारक के पद रिक्त हैं। अशवनी शर्मा ने प्रदेश सरकार से प्रदेश में पशुपालन विभाग में रिक्त पड़े पदों को भरने व लंपी वायरस को रोकनें के लिए पशुपालन विभाग के पास उपलब्ध टीकों से ही पशुओं का टीकाकरण करने की मांग की हैं।

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