क्रूरता के मामले में कोई भी निर्णय बड़ी संवेदनशीलता के साथ दिया जाना चाहिए- एडवोकेट यशवंत सिंह आज़ाद

रामपुर बुशहर द सुप्रभात ब्यूरो

रामपुर बुशहर। पशुओं के प्रति किसी भी तरह की क्रूरता के मामले में अधिक संवेदनशीलता के साथ फैसला किया जाना चाहिए, क्योंकि जानवर न बोल सकते हैं, न अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं। सतलुज कैफे होटल रामपुर बुशहर में एक पत्रकार वार्ता में बोलते हुऐ पशु प्रेमी एवं एडवोकेट यशवंत सिंह आज़ाद ने आगे कहा कि जानवरों में एक इंसान के समान ही भावनाएं होती हैं। अंतर केवल इतना है कि जानवर बोल नहीं सकते हैं, इसलिए उनके अधिकारों को कानूनी मान्यता होने के बावजूद, वे इस पर जोर नहीं दे सकते। संबंधित व्यक्तियों द्वारा कानून के दायरे में जानवरों के अधिकारों का ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि जो भी रामपुर क्षेत्र के अंदर गौशाला खोली गई है उनके संचालकों को चाहिए कि वे जो छोड़े गए लावारिस बेजुबान पशुओं को गौशाला में रखने पर बल दिया गया । वहीं पशुपालकों की मिलीभगत नजर आ रही है,जोकि गाय का उपयोग करते हैं और जब वह उपयोग के योग्य नहीं होती तो उन्हें सड़क के किनारे छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि पशु को कानून के मुताबिक टैग लगाना अनिवार्य है। कुछ लोग हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। यह प्रशासन की अनदेखी है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की याचिका में मुख्य रूप से गौ माता की सुरक्षा,फूड, दवाई और इनके रहने के लिए प्रबंध बारे उल्लेख किया गया था। इस याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि गाय एवं अन्य पशु प्रदेश में आवारा,बेसहारा घूम रहे हैं जो आए दिन कई -कई दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं और लोगों द्वारा अपना स्वार्थ पूरा किए जाने पर उन्हें सड़कों पर छोड़ा जा रहा है। जिस कारण से कई समस्याएं पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विभिन्न तिथियों में भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि गौशालाओं व उनके निर्माण के लिए 3 महीने के अंदर मंत्री परिषद से इस मुद्दे को लेकर बात करें और इसके लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया करवाएं। यह भी कहा गया कि इस समस्या के संदर्भ में स्थानीय निकाय एनएच विभाग, संबंधित विभाग और राज्य सरकार की जिम्मेवारी है। उन्होंने बताया कि इस आदेश को पारित होते ही पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह ने कुछ प्रयास किए और कुछ गौशालाएं भी बनी, परंतु हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद आज सड़कों पर इन पशुओं की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि इससे छुटकारा पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि हर भारतीय को जीने का अधिकार है। परंतु यदि पशु होंगे तो ही हर मानव सर्विस कर सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने पशु पक्षियों को भी जीने का अधिकार दिया है।इसके साथ यदि हम उत्पीड़न करेंगे तो यह बहुत बड़ा पाप है। वहीं उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने आवारा गायों के नाम पर प्रदेश में शराब की बोतल पर दो रुपए प्रति बोतल टैक्स लगाया था और वर्तमान कांग्रेस सरकार ने आते ही प्रदेश के शराब के ठेकों में बिकने वाली बोतल पर यह टैक्स 2 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए कर दिया है। जिससे प्रदेश के खजाने में हर रोज करोड़ों रुपए इकट्ठे हो रहे हैं, परंतु यह विषय चर्चा का बना है कि यह पैसा आखिर कहां जा रहा है, जबकि हालात यह है कि पशुओं की दुर्दशा इस क्षेत्र व राष्ट्रीय राजमार्ग -05 पर नारकंडा से लेकर ज्यूरी, किन्नौर तक पशुओं की दुर्दशा सरेआम दिख रही है। बेबस पशु सड़कों के किनारे भटक रहे हैं। कई बार इन पशुओं की वाहन दुर्घटना में भी मौत हो रही है। हैरानी की बात है कि इस मार्ग पर प्रदेश के मंत्री, विधायक सफर करते हैं, क्या उनकी आंखों के सामने इन लावारिस पशुओं की दुर्दशा सामने नहीं आती। वकील यशवंत ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इन लावारिस बेबस पशुओं के नाम पर एकत्रित होने वाले शराब पर लगे इस टैक्स को उसी मंडल में पशुओं की भलाई पर खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से यह मांग भी की है कि कांग्रेस सरकार के समय इस टैक्स से कितना पैसा आया है और पशुओं की भलाई पर कहां पर कितना खर्च किया गया है।इस बारे श्वेत पत्र जारी कर लोगों को जानकारी दी जाए।

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